What is breakout trading – ब्रेकआउट ट्रेडिंग क्या है

What is breakout trading - ब्रेकआउट ट्रेडिंग क्या है
What is breakout trading – ब्रेकआउट ट्रेडिंग क्या है

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ब्रेकआउट ट्रेडिंग परिचय – Introduction to Breakout Trading

ब्रेक आउट ट्रेडिंग (Breakout Trading) स्ट्रेटजी शेयर मार्केट की एक ऐसी रणनीति है जिसमें निवेशक किसी स्टॉक में तब निवेश करते हैं जब उस स्टॉक की कीमत किसी निश्चित पैटर्न या सीमा को तोड़कर ऊपर की ओर या नीचे की ओर बढ़ना प्रारंभ करता है। अगर इसे हम आसान शब्दों में समझे तो यह कहा जा सकता है कि किसी शेयर का मूल्य किसी निश्चित समय में किसी निश्चित दायरे को तोड़कर अचानक उसे पर करती है तो इसे ब्रेकआउट कहते हैं।

कैसे पहचानें ब्रेकआउट? – How to Identify Breakouts?

ट्रेडिंग में सबसे महत्वपूर्ण होता है ब्रेक आउट को पहचाना जब भी कोई शेयर सपोर्ट या रेजिस्टेंस को पार करता है तब इसे ब्रेक आउट माना जाता है इसकी पहचान करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण संकेत पर ध्यान देना जरूरी है :-

प्रमुख संकेतक – Key Indicators

  1. वॉल्यूम :- ट्रेडिंग करते समय अगर ब्रेक आउट का ट्रेडिंग वॉल्यूम बढ़ जाता है तो इसे हम एक मजबूत संकेत मान सकते हैं कि यह एक मजबूत और वास्तविक ब्रेकआउट है |
  2. मूविंग एवरेज :- मूविंग एवरेज एक ऐसा इंडिकेटर है जिसका उपयोग हम यह देखने के लिए करते हैं की कीमत किसी निश्चित सीमा को पार कर रही है या नहीं |
  3. रिलेटिव स्ट्रैंथ इंडेक्स :- रिलेटिव स्ट्रैंथ इंडेक्स से हम यह पता लगा सकते हैं कि कोई भी स्टॉक अत्यधिक मात्रा में खरीदा हुआ है या फिर अत्यधिक मात्रा में बेचा हुआ है जो की ब्रेक आउट करने की और संकेत करता है |
  4. प्रिंस पैटर्न :-प्रिंस पैटर्न से हम यह पता लगा सकते हैं कि ट्राएंगल्स, फ्लेक्स, और वेजेस जैसे पैटर्न ब्रेक आउट से पहले बन सकते हैं जिसके लिए हमें इन्हें ध्यान से देखना जरूरी होता है |

मूल्य सीमा – Price Range

कीमत का बार-बार सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल से टकराना और फिर सीमा को पार करना ब्रेक आउट की ओर संकेत करता है | सपोर्ट उस स्तर को कहते हैं जहां पर कीमत जाकर रुक जाती है और गिरने से बचाती है जबकि रेजिस्टेंस उसे स्तर को कहते हैं | जहां पर कीमत ऊपर जाने से रुक जाती है और जब कीमत इन दोनों सीमाओं को पार कर जाती है तो इसे ट्रेडर्स ब्रेक आउट मानते हैं |

Breakout Trading Strategies

ब्रेकआउट ट्रेडिंग की रणनीतियाँ – Breakout Trading Strategies

ब्रेकआउट ट्रेडिंग में विभिन्न प्रकार की रणनीतियां होती है जो की कीमत के पैटर्न वॉल्यूम और सीमा के आधार पर ही काम करती है नीचे कुछ महत्वपूर्ण रण नीतियां दी गई है:-

रेंज ब्रेकआउट – Range Breakout

रेंज ब्रेक आउट की रणनीति इस प्रकार की रणनीति है जिसमें जब स्टॉक की कीमत सपोर्ट और रेजिस्टेंस के अंदर चलते रहती है और फिर अचानक से एक निश्चित सीमा को पार करती है तो इस प्रकार के ब्रेक आउट को रेंज ब्रेक आउट के नाम से जाना जाता है | जब भी कीमत किसी रेजिस्टेंस को पार करती है तो इसका संकेत यह है कि हमें उस स्टॉक को खरीदना होता है और जब भी सपोर्ट टूटता है इसका संकेत यह होता है कि अब हमें स्टॉक को बेचना है

प्राइस पैटर्न ब्रेकआउट – Price Pattern Breakout

प्राइस पैटर्न ब्रेकआउट वह ब्रेक आउट होता है जिसमें ट्रेडर्स चार्ट पर कुछ विशेष प्रकार के पैटर्न को देखते हैं और यह संकेत देते हैं की कीमत किस दिशा की ओर आगे बढ़ सकती है
जब भी इन पैटर्न का ब्रेक आउट होता है तो ट्रेडर्स यह संकेत देते हैं की कीमत एक नई दिशा की ओर तेजी से मूव कर सकती है

वॉल्यूम ब्रेकआउट – Volume Breakout

वॉल्यूम का ब्रेकआउट तब माना जाता है जब भी कीमत के ब्रेक आउट के समय ट्रेडिंग वॉल्यूम में उससे भी बड़ी वृद्धि होती है और अगर वॉल्यूम कम है और कीमत का ब्रेक आउट कर रही होती है तो यह फाल्स ब्रेक आउट माना जा सकता है

ब्रेकआउट के समय अगर वॉल्यूम बढ़ा हुआ है तो वह इस बात की और संकेत करता है कि बाजार में खरीदने और बेचने वालों की संख्या में वृद्धि हो रही है जिससे कि ब्रेक आउट को ज्यादा से ज्यादा मजबूत माना जाता है

ब्रेकआउट ट्रेडिंग के फायदे – Advantages of Breakout Trading

  1. बड़ी कीमत चाल :- जब भी कभी ब्रेक आउट होता है तो इससे शेयर की कीमत तेजी से बढ़ सकती है या फिर तेजी से गिर सकती है इससे जो भी ट्रेडर्स होते हैं उनको मुनाफा कमाने का एक अच्छा अवसर मिलता है |
  2. स्पष्ट एंट्री और एग्जिट प्वाइंट :- जो भी ब्रेक आउट ट्रेडिंग होता है उसमें सपोर्ट और रेजिस्टेंस की जो भी स्तर होते हैं वह पहले से ही तय होते हैं जिसे ट्रेडर्स को पहले से ही पता चल जाता है की एंट्री कब करनी है और कब उस शेयर से बाहर निकलना है |
  3. प्राइस ट्रेंड्स का फायदा :- जब भी ब्रेक आउट ट्रेडिंग होता है तो आप ब्रेक आउट ट्रेडिंग में एक नए और मजबूत ट्रेंड्स के पहले चरण में ही शामिल हो सकते हैं जो कि आपको अधिक से अधिक लाभ बनाने में या कमाने में मदद करता है |
  4. कम जोखिम :- अगर आपने सही तरीके से ब्रेक आउट की पहचान कर ली है तो इससे आपको रिस्क रिवॉर्ड रेश्यो में काफी फायदा हो सकता है |
  5. फॉलोइंग मार्केट मोमेंटम :- ब्रेकआउट की जो रणनीति है वह बाजार किस दिशा की ओर है और बाजार की गति कैसी है इस नियम का पालन करती है जिससे कि ट्रेडिंग में अधिक से अधिक विश्वास और सही फैसला लेने की क्षमता बढ़ती है |

ब्रेकआउट ट्रेडिंग के नुकसान – Disadvantages of Breakout Trading

  1. फॉल्स ब्रेक आउट :- बहुत बार ऐसा होता है की कीमत अपनी एक सीमा से बाहर निकलती है और बाहर निकाल कर फिर उसी में वापस आ जाती है इसे ही फाल्स ब्रेक आउट कहा जाता है जो की ट्रेडिंग करने वालों के लिए बहुत ही नुकसानदायक साबित हो सकता है |
  2. अत्यधिक उतार-चढ़ाव :- जब भी ब्रेक आउट होता है उस समय बाजार में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव हो सकता है जिससे कि ट्रेडिंग करने वालों को अचानक से नुकसान का सामना करना पड़ सकता है या फिर नुकसान उठाना पड़ सकता है \
  3. मार्केट सेंटीमेंट पर निर्भरता :- ब्रेकआउट ट्रेडिंग हमेशा ही मार्केट सेंटीमेंट पर निर्भर करती है जो कि कभी भी अचानक से बदल सकती है और योजना को विफल बना सकती है |
  4. बड़ा स्टॉप लॉस :- बड़ा स्टॉप लॉस रखने से यह फायदा होता है कि कभी-कभी हम सही ब्रेक आउट को पकड़ सकते हैं जिससे जो नुकसान का जोखिम होता है वह बढ़ सकता है |
  5. लंबे समय तक इंतजार :- कुछ शहरों में लंबे समय तक ब्रेक आउट का इंतजार करना पड़ सकता है इससे यह नुकसान होता है कि अन्य ट्रेडिंग अवसरों का हानि हो सकता है |

ब्रेकआउट ट्रेडिंग में तकनीकी विश्लेषण का उपयोग – Using Technical Analysis in Breakout Trading

ट्रेडर्स ब्रेक आउट ट्रेडिंग में तकनीकी विश्लेषण का इस्तेमाल करके यह निश्चित कर सकते हैं कि कब और कहां हमें ट्रेडिंग करनी चाहिए तकनीकी विश्लेषण के अंतर्गत चार्ट पेटर्न और विभिन्न संकेत का उपयोग किया जाता है जिससे कि बाजार की विभिन्न गतिविधियों का सही तरीके से अनुमान लगाया जा सके |

चार्ट पैटर्न – Chart Patterns

चार्ट पैटर्न:- कीमत किस दिशा में मूव करने वाली है इसका पता चार्ट पेटर्न के द्वारा लगाया जाता है यह पैटर्न ब्रेक आउट के आने से पहले बन जाते हैं और ट्रेडर्स के लिए संकेत करते हैं कि कब ब्रेकआउट हो सकता है पैटर्न के जिस तरफ ब्रेक आउट होता है उस तरफ तेजी से मूव करते हैं |

तकनीकी संकेतक – Technical Indicators

तकनीकी संकेतक:- बाजार में कब ब्रेक आउट हो सकता है और यह कितनी मजबूती से और तेजी से हो सकता है इन सभी संकेत को समझने के लिए हम तकनीकी संकेतको का उपयोग करते हैं | तकनीकी संकेत के माध्यम से ब्रेक आउट का पता लगा लेने के बाद जब ब्रेक आउट होती है तो ट्रेडर्स उस ट्रेड में इंटर करके बड़ा मुनाफा प्राप्त कर सकता है।

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ब्रेकआउट ट्रेडिंग में जोखिम प्रबंधन – Risk Management in Breakout Trading

ब्रेकआउट ट्रेडिंग स्ट्रेटजी में जोखिम प्रबंधन करना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि किसी भी रणनीति में हमें ज्यादा मुनाफा का प्राप्त करने के लिए अधिक जोखिम न लेकर कम जोखिम में काम करना चाहिए जिससे मुनाफा ज्यादा होता है । मैंने नीचे कुछ तरीके बताएं हैं जिससे आप अपना जोखिम प्रबंधन सही कर सकते हैं :—

छोटे साइज में ट्रेड करें :—

किसी भी ट्रेडिंग में सफलता प्राप्त करने के लिए आप अपने कुल पूंजी का एक छोटा सा हिस्सा ही ट्रेडिंग में लगाए इससे आपको कम नुकसान और ज्यादा मुनाफा देखने को मिलेगा। अगर बाजार आपके खिलाफ चल जाता है तो नुकसान अत्यंत सीमित होगी।

फॉल्स ब्रेकआउट से बचे :—

ब्रेकआउट ट्रेडिंग स्ट्रेटजी का प्रयोग करते हुए कई बार हमें ऐसा देखने को मिलता है कि किसी निश्चित सीमा को तोड़कर वह ऊपर तो चला जाता है किंतु अगले ही पल वह नीचे आते हुए देखने को मिलता है, इसे हम फॉल्स ब्रेकआउट करते हैं। ब्रेकआउट ट्रेडिंग स्ट्रेटजी में हमेशा हमें फॉल्स ब्रेकआउट से बचकर रहना चाहिए इससे हमारे जोखिम प्रबंधन करने में आसानी होती है।

स्टॉप-लॉस सेट करना – Setting Stop-Loss

ब्रेक आउट ट्रेडिंग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा स्टॉप लॉस होता है। अगर बाजार आपकी दिशा में ना जाकर विपरीत दिशा में चला जाए तो आपको एक बड़ा नुकसान हो सकता है । इससे बचने के लिए हम स्टॉप लॉस का प्रयोग करते हैं। स्टॉप लॉस के पास अगर आपका मूल्य आता है तो वहां से आपका ट्रेड बंद हो जाएगा और आपको सीमित लॉस ही देखने को मिलेगा जिससे पूंजी का कम नुकसान होता है। इसलिए प्रत्येक ट्रेड में हमें स्टॉप लॉस का प्रयोग करना आवश्यक है।

लाभ लक्ष्य सेट करना – Setting Profit Targets

ट्रेडिंग करने का मुख्य उद्देश्य होता है मुनाफा प्राप्त करना। मुनाफा तभी प्राप्त होगा जब हम अपने खरीदे हुए शेयर को बेच। तो हमें प्रत्येक ट्रेड में लाभ लक्ष्य सेट करना आवश्यक है, यह उसी प्रकार लगाया जाता है जैसे स्टॉप लॉस को लगाया जाता है । फर्क बस इतना है कि स्टॉप लॉस में हमें वह मूल्य लगाना होता है जहां से हमें लॉस बुक करना होता है, ठीक उसी प्रकार प्रॉफिट टारगेट में हमें वह मूल्य लगाना होता है जहां से हम अपने ट्रेड को मुनाफा में बंद करना चाहते हैं।

सफल ब्रेकआउट ट्रेडर बनने के लिए टिप्स – Tips to Become a Successful Breakout Trader

  1. मार्केट का गहराई से अध्ययन करें :-ब्रेकआउट ट्रेडिंग स्ट्रेटजी में हमें मार्केट की गहराइयों का अध्ययन अवश्य करना चाहिए इससे हमें आसानी से सपोर्ट और रिजेक्शन लेवल की पहचान होगी। जिससे हम सपोर्ट और रिजेक्शन लेवल के ब्रेक आउट के बाद आसानी से ट्रेड लेकर एक मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं।
  2. वॉल्यूम की पुष्टि करें :- ब्रेकआउट ट्रेडिंग करते समय हमें हमेशा वॉल्यूम की पुष्टि करनी चाहिए। वॉल्यूम की पुष्टि हो जाने के बाद अगर वॉल्यूम बढ़ रही है तो हमें ट्रेड लेना चाहिए लेकिन अगर वॉल्यूम नहीं बढ़ रही लेकिन ब्रेक आउट हो जाती है तो हमें उसे समय ट्रेड नहीं लेना चाहिए।
  3. संयम रखें :- ब्रेकआउट ट्रेडिंग करते समय हमें स्वयं के अंदर संयम रखना चाहिए क्योंकि कई बार हम जल्दबाजी में फैसला लेते हैं और फॉल्स ब्रेक आउट में ट्रेड करते हैं, जिससे हमें नुकसान हो जाती है। इसलिए एक सफल ट्रेड बनने के लिए संयम से काम लेना चाहिए और जल्दबाजी में फैसला नहीं लेने चाहिए।
  4. ट्रेडिंग प्लान बनाएं :- किसी भी प्रकार का ट्रेडिंग करते हुए हमें सर्वप्रथम ट्रेडिंग प्लान बनाना जरूरी होता है । इसमें हम कहां एंट्री लेना है, कहां पर एग्जिट करना है, कहां स्टॉप लॉस लगाना है, कहां पर प्रॉफिट बुक करना है, यह सारी चीज होती है। ट्रेडिंग प्लान बनाने से हमें यह देखने को मिलता है कि हम कहां गलत कर रहे हैं और उस गलती को सुधार कर हम एक बड़े प्रॉफिट बनाने की तरफ बढ़ सकते हैं।
  5. नियमित रूप से विश्लेषण करें :- किसी भी ट्रेडिंग स्ट्रेटजी का प्रयोग करते समय हमें नियमित रूप से विश्लेषण करना चाहिए और समय-समय पर हमारी गलतियों को सुधारना चाहिए जहां भी हमें गलती दिखे उसे किस प्रकार सुधरा जाए उसका विश्लेषण करना चाहिए विश्लेषण कर लेने के बाद फिर हमें ट्रेडिंग करना चाहिए इससे हमें हमारा मुनाफा बढ़ाते हुए देखने को मिल जाएगा।
  6. भावनाओं से दूर रहें :- ट्रेडिंग करते समय हम अपने भावनाओं में आकर कई बार गलत फैसला ले लेते हैं । इसलिए ट्रेडिंग करते समय अपने भावनाओं को नियंत्रण में रखना चाहिए। ट्रेडिंग करते समय लालच या डर की भावना होने के कारण हम कभी भी सही निर्णय नहीं ले पाते इस कारण अगर हमें सफल ट्रेड बना है तो हमें अपने भावनाओं को नियंत्रित करना चाहिए इससे हम जल्द ही बड़ा प्रॉफिट बना सकते हैं।

निष्कर्ष – Conclusion

ब्रेकआउट ट्रेडिंग स्ट्रेटजी एक अत्यंत सरल एवं प्रभावित ट्रेडिंग स्ट्रेटजी है इससे मुनाफा प्राप्त करना अत्यंत आसान है बस हमें सही जगह एंट्री करके प्रॉफिट बनाना होता है। अगर हम सही जोखिम प्रबंधन सही स्टॉप लॉस और सही प्रॉफिट लक्ष्य के साथ इस ट्रेडिंग स्ट्रेटजी का प्रयोग करें तो यह रणनीति अत्यंत मुनाफा कमा कर देता है। अगर हमें ब्रेक आउट ट्रेडिंग स्ट्रेटजी में सफलता प्राप्त करनी है तो हमें नियमित मार्केट का अध्ययन करना आवश्यक है । साथ ही हमें अपने अनुशासन में रहकर कार्य करना होता है।

बिना प्लानिंग और बिना जोखिम प्रबंधन के ब्रेक आउट ट्रेडिंग लंबे समय तक नहीं किया जा सकता। अगर आपको सफल ट्रेड बना है तो ब्रेक आउट ट्रेडिंग में जोखिम प्रबंधन का प्रयोग अवश्य करना चाहिए साथ ही अपने सही प्लानिंग का प्रयोग करते हुए मुनाफा प्राप्त करना चाहिए।

READ MORE : – वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस (VWAP) क्या है।

FAQs

ब्रेकआउट ट्रेडिंग क्या है?

ब्रेकआउट ट्रेडिंग एक ऐसी रणनीति है जिसमें तब ट्रेड किया जाता है जब किसी शेयर की कीमत एक निश्चित सीमा या पैटर्न को पार करती है।

फॉल्स ब्रेकआउट क्या है?

फॉल्स ब्रेकआउट तब होता है जब कीमत सीमा को पार कर थोड़ी देर के लिए आगे बढ़ती है लेकिन फिर वापस लौट आती है।

स्टॉप-लॉस कैसे सेट किया जाता है?

स्टॉप-लॉस हाल के सपोर्ट या रेसिस्टेंस के नीचे या ऊपर सेट किया जाता है, या आप इसे फिक्स्ड पर्सेंटेज में सेट कर सकते हैं।

ब्रेकआउट में वॉल्यूम का क्या महत्व है?

वॉल्यूम यह बताता है कि ब्रेकआउट असली है या नकली। वॉल्यूम बढ़ने से ब्रेकआउट की पुष्टि होती है।

लाभ लक्ष्य कैसे सेट किया जाता है?

लाभ लक्ष्य रिस्क-रिवॉर्ड अनुपात या फिबोनाची रिट्रेसमेंट जैसे टूल्स का उपयोग करके सेट किया जा सकता है।

क्या ब्रेकआउट ट्रेडिंग में जोखिम है?

हां, ब्रेकआउट ट्रेडिंग में अधिक जोखिम होता है, खासकर अगर फॉल्स ब्रेकआउट हो जाए।

क्या ब्रेकआउट ट्रेडिंग शुरुआती लोगों के लिए सही है?

यह रणनीति जोखिमपूर्ण है, इसलिए शुरुआत में इसे कम मात्रा में और स्टॉप-लॉस के साथ किया जाना चाहिए।

ब्रेकआउट ट्रेडिंग के लिए कौन से इंडिकेटर्स उपयोगी हैं?

वॉल्यूम, मूविंग एवरेज, और सपोर्ट-रेसिस्टेंस प्रमुख इंडिकेटर्स हैं।

कितनी देर तक ब्रेकआउट ट्रेडिंग होनी चाहिए?

यह बाजार की स्थिति और आपके लक्ष्य पर निर्भर करता है। आप इसे कुछ घंटों, दिनों या हफ्तों तक होल्ड कर सकते हैं।

क्या ब्रेकआउट ट्रेडिंग हर बाजार में काम करती है?

ब्रेकआउट ट्रेडिंग ज्यादातर शेयर और कमोडिटी बाजारों में काम करती है, लेकिन क्रिप्टो और अन्य बाजारों में भी इसे लागू किया जा सकता है।

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