Stock Market Me Emotional Investing Se Kaise Bache?
स्टॉक मार्केट में इमोशनल इन्वेस्टिंग (Emotional Investing) करना आजकल हर किसी के लिए बहुत ही आम बात हो गई है। हर किसी को यह उम्मीद होता है, कि वह स्टॉक मार्केट से ज्यादा से ज्यादा और जल्दी से जल्दी मुनाफा कमा सकता है। और अपने निवेश पर बहुत ही बेहतर रिटर्न हासिल कर सकता है, लेकिन स्टॉक मार्केट में सफल होने के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण चीज होती है- भावनाओं पर काबू पाना। अक्सर देखा जाता है कि निवेशक अपनी भावनाओं में बहकर गलत निर्णय ले लेते हैं।
जिससे कि उन्हें भारी नुकसान हो जाता है, जिसे इमोशनल इन्वेस्टिंग (Emotional Investing) कहा जाता है। इमोशनल इन्वेस्टिंग (Emotional Investing) से बचने के लिए आपको मार्केट की अच्छी समझ होना बहुत जरूरी है। अच्छी समझ होने के बावजूद बहुत से निवेशक इमोशनल इन्वेस्टिंग (Emotional Investing) करते हैं। इस लेख में हम यह समझेंगे कि इमोशनल इन्वेस्टिंग (Emotional Investing) क्या है, इसके क्या-क्या खतरे हैं और इससे आप कैसे बच सकते हैं।
इमोशनल इन्वेस्टिंग (Emotional Investing) क्या है?
इमोशनल इन्वेस्टिंग (Emotional Investing) तब होती है, जब निवेशक अपने निवेश के फैसले अपनी समझदारी के आधार पर नहीं ले पाते, बल्कि निवेशक अपने फैसले अपनी भावनाओं जैसे डर, लालच और उत्साह के प्रभाव में आकर फैसला करते हैं, जिसे इमोशनल इन्वेस्टिंग (Emotional Investing) कहा जाता है।
उदाहरण के लिए, यदि बाजार गिर रहा है, और निवेशक को डर है की उसे नुकसान का सामना करना पड़ सकता है, जिसके कारण निवेशक अपने शेयर को बेच देता है, तो यह एक प्रकार का भावनात्मक निर्णय है। इसी तरह ही जब बाजार में अचानक से तेजी आती है तो निवेशक बिना सोचे समझे कोई भी शेयर खरीद देता है, तो वह लालच में आकर निवेश करता है, इस प्रकार से इमोशनल इन्वेस्टिंग (Emotional Investing) होती है।
इमोशनल इन्वेस्टिंग (Emotional Investing) में निवेशक अपनी तर्कसंगत का उपयोग नहीं कर सकता और भावनाओं में बह जाता है। जिससे कि निवेशक को कभी-कभी भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
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इमोशनल इन्वेस्टिंग (Emotional Investing) के खतरे
इमोशनल इन्वेस्टिंग (Emotional Investing) के बहुत सारे खतरे होते हैं, जिनमें से कुछ महत्वपूर्ण खतरों के बारे में हम आगे चर्चा करेंगे:
- लॉन्ग टर्म प्लान का नष्ट होना :— कई निवेशक ऐसे होते हैं, जो अपनी भावनाओं में आकर अपने लॉन्ग टर्म निवेश के प्लान को छोड़ देते हैं। बाजार में हो रहे उतार चढ़ाव या बाजार की अस्थिरता को देखकर निवेशक डर और घबराहट में आकर अपने निवेश किए गए शेयर को बेच देते हैं, जिसके कारण उनके लॉन्ग टर्म रिटर्न पर बुरा असर पड़ता है। भावनाओं में बहकर निवेश करने वाले निवेशकों के लिए लॉन्ग टर्म प्लेन सही साबित नहीं होता है, क्योंकि ऐसे निवेशक अपनी भावनाओं में आकर गलत निर्णय लेते हैं।
- लालच और ओवर ट्रेडिंग :— कई बार ऐसा देखा गया है, कि जब बाजार में तेजी आती है, तो निवेशक लालच में आकर ज्यादा से ज्यादा शेयर खरीदते हैं। निवेशक लालच में आकर बिना कंपनी के बारे में जानकारी के ही शेयर खरीद लेते हैं, इसके बाद उन्हें बहुत ज्यादा नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। जब बाजार तेजी से बढ़ता है, तो निवेशक को अपनी समझ और धैर्य के साथ शेर खरीदना चाहिए।
- डर और पैनिक सेलिंग :— जब अचानक से बाजार में भारी गिरावट आती है, तो निवेशक के मन में डर होता है, कि कहीं उन्हें नुकसान ना हो। जिसके कारण निवेशक जल्दबाजी में आकर अपने शेयर को बेच देते हैं, इसे ही पैनिक सेलिंग कहा जाता है। जैसे ही बाजार में गिरावट होती है, उस समय लोग डर के कारण बहुत ही कम मूल्य पर अपने शेयर को बेच देते हैं, जिससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है। निवेशक को हमेशा यह डर रहता है, कि कहीं बाजार गिर ना जाए और उन्हें नुकसान का सामना करना ना पड़े इसी वजह से निवेशक इमोशनल इन्वेस्टिंग (Emotional Investing) करते हैं।
- रियल रिटर्न से वंचित रहना :— निवेशकों द्वारा भावनाओं के आधार पर किए गए फैसलों की वजह से निवेशक सही अवसर से वंचित हो जाते हैं। जिससे कि निवेशक को एक अच्छा मौका नहीं मिल पाता है। यदि आप बाजार में हो रहे उतार-चढ़ाव के दौरान धैर्य बनाकर नहीं रख पाते और अपनी भावनाओं में आकर फैसला लेते हैं, तो आप संभावित लाभ से वंचित रह जाते हैं, जिससे कि आपको ही नुकसान होगा। अगर आपको बाजार में रियल रिटर्न चाहिए तो आपको अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना होगा।
इमोशनल इन्वेस्टिंग (Emotional Investing) से कैसे बचें?
निवेशक को अपनी भावनाओं पर काबू पाने और सही तरीके से निवेश करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण नीतियां अपनाई जा सकती है नीचे हम महत्वपूर्ण नीतियों के बारे में बात करेंगे जिससे कि आप इमोशनल इन्वेस्टिंग (Emotional Investing) से बच सकते हैं:
- लॉन्ग टर्म लक्ष्य तय करें :— स्टॉक मार्केट में निवेश करते समय सबसे पहले आपको लॉन्ग टर्म गोल को निर्धारित करना चाहिए। जब आप अपने वित्तीय लक्ष्यों के प्रति ईमानदार और निष्ठावान होते हैं, तो बाजार में हो रही छोटी-मोटी और अस्थिरता से आपको प्रभाव नहीं पड़ता है। आपका ध्यान पूरी तरीके से अपने लॉन्ग टर्म रिटर्न पर होना चाहिए। ना की शॉर्ट टर्म लाभ या फिर हानि पर। लॉन्ग टर्म निवेश करने पर आपको यह फायदा होगा, कि आप उस शेयर को बहुत दिनों के लिए निवेश कर देंगे। और आपको उस पर बहुत ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं होगी, जिससे कि आपके कीमती समय की बचत होगी। लॉन्ग टर्म में आपको छोटी-मोटी हो रही हानि पर ध्यान नहीं देना चाहिए या फिर आपको शॉर्ट टर्म पर होने वाले लाभ पर भी ध्यान नहीं देना चाहिए।
- मार्केट रिसर्च और एनालिसिस करें :— भावनाओं में आकर निवेश करने से बचने के लिए सबसे अच्छा तरीका यह है, कि आप मार्केट के बारे में अच्छे से रिसर्च करें, और एनालिसिस करें। आपको मार्केट की समझ होगी, तो आप भावनाओं में आकर निर्णय नहीं लेंगे। आपको जिस कंपनी के शेयर खरीदने हैं, उस कंपनी के फंडामेंटल को समझ कर निवेश कर सकते हैं। किसी भी कंपनी के शेयर में निवेश करने से पहले आपको कंपनी की ग्रोथ, मैनेजमेंट, और भविष्य की संभावनाओं को ध्यान में रखकर निवेश करना चाहिए, जिससे कि आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं, और इमोशनल इन्वेस्टिंग (Emotional Investing) से बच सकते हैं। निवेश करने से पहले मार्केट की जानकारी रखना यह आपके लिए बहुत अच्छा साबित हो सकता है।
- डायवर्सिफिकेशन ( विविधीकरण ) अपनाय :— अपनी पोर्टफोलियो को विविधता या अनेक रूप देना एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहल है। जब आप कई क्षेत्रों और कई कंपनियों में निवेश करते हैं, तो आपको किसी एक कंपनी या सेक्टर में गिरावट होने पर ज्यादा नुकसान नहीं होता है। एक कंपनी में नुकसान होने पर आपको और बाकी कंपनियों में मुनाफा हो सकता है, जिससे कि आपको नुकसान का खतरा कम होगा। डायवर्सिफिकेशन से आपको जोखिम कम होता है। और आप शांत मन से और अपनी समझदारी से निवेश कर सकते हैं।
- पैनिक सेलिंग से बचे :— बाजार में जब अचानक गिरावट आती है, तब निवेशक जल्दबाजी में अपने शेयर बेच देते हैं, जबकि ऐसा करने से आपको बचना चाहिए। जिस समय बाजार में गिरावट आती है, उस समय जो लोग लंबी अवधि के निवेशक होते हैं, उनके लिए शेयर खरीदने का बहुत ही अच्छा मौका होता है। इस समय लंबी अवधि वाले निवेशक कम दाम पर शेयर को खरीद लेते हैं, और बाद में उन्हें मुनाफा होता है। अगर आप अपने लॉन्ग टर्म गोल को ध्यान में रखकर निवेश करते हैं, तो आपको बाजार में हो रही गिरावट से डरने की आवश्यकता नहीं होती है, बल्कि यह समय आपके लिए अधिक से अधिक शेयर खरीदने का होता है।
- रेगुलर पोर्टफोलियो रिव्यू करें :— आपको अपने पोर्टफोलियो को समय-समय पर रिव्यू करते रहना चाहिए, इससे आपको यह पता चलता है, कि आपने जो निवेश किया है, उसकी दिशा सही है या नहीं। आपके द्वारा किया गया निवेश सही किया गया है या नहीं। अगर किसी स्टॉक का परफॉर्मेंस खराब है, तो आप उसे बेचने के लिए बड़े ही समझदारी से और ठंडे दिमाग से निर्णय ले सकते हैं, आपको भावनाओं में बहने की आवश्यकता नहीं है। अगर आपको ऐसा लगता है कि आपके द्वारा निवेश किए गए शेयर आपको लगातार नुकसान पहुंचा रहा है, तो ऐसे में आप अपने शेयरो को बेचकर नए शेयर खरीद सकते हैं।
- मार्केट टाइमिंग से बचें :— कई निवेशक पहले से ही यह भविष्यवाणी कर लेते हैं, कि बाजार ऊपर की ओर जाएगा या फिर नीचे की ओर जाएगा, जिसे मार्केट टाइमिंग कहां जाता है। लेकिन बाजार की सही टाइमिंग क्या होती है, इसका अनुमान लगाना बहुत ही मुश्किल होता है। जिसके चलते आपको नुकसान भी हो सकता है, इसलिए आप सही समय का इंतजार करने की बजाय, सही से रिसर्च करें और उस कंपनी के बारे में अच्छे से जानकारी एकत्रित करें। और लॉन्ग टर्म में निवेश करें।जिससे कि आपको जोखिम का खतरा कम होगा।
- सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) अपनाये :— SIP एक बहुत ही बेहतरीन तरीका होता है। इससे आप इमोशनल इन्वेस्टिंग (Emotional Investing) से बच सकते हैं। इसमें आप एक निश्चित समय के अंतराल पर एक निश्चित राशि निवेश करते हैं, जिससे कि आपको बाजार में हो रहे उतार चढ़ाव से कोई भी फर्क नहीं पड़ता है। SIP से निवेश करना अनुशासन पूर्ण माना जाता है। और इससे आप अपनी भावनाओं के प्रभाव से बच सकते हैं, और तर्कपूर्ण तरीके से निवेश कर सकते हैं। जिससे कि आपको मुनाफा होने की संभावना ज्यादा होती है। और आप सही निर्णय लेने में सक्षम हो सकते हैं, इससे आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा और साथ ही इमोशनल इन्वेस्टिंग (Emotional Investing) से छुटकारा मिलेगा।
- अनुभवी निवेशकों से सीखे :— यदि आप शेयर बाजार में नए हैं, तो आप अपने से ज्यादा अनुभवी निवेशकों से सलाह ले सकते हैं। जो कि आपके लिए बहुत ही मददगार हो सकता है। अनुभवी निवेशक आपको यह सिखा सकते हैं, कि किन परिस्थितियों में आपको कैसा निर्णय लेना चाहिए और अपनी भावनाओं को काबू में रखना चाहिए। अनुभवी निवेशक आपको मार्केट की अच्छी समझ और मार्केट में आपको किस प्रकार से धैर्य बनाकर रखना चाहिए इस बात से अवगत करा सकते हैं, क्योंकि उन्हें पहले से ही इन सब बातों का अनुभव होता है। आपके लिए यह बहुत अच्छा होगा, कि आप मार्केट में निवेश करने से पहले अनुभवी निवेशकों से सलाह जरूर ले।
- रिलैक्सेशन और माइंडफूलनेस का अभ्यास करें :— शेयर बाजार में आपको अपनी भावनाओं को काबू में रखने के लिए मानसिक रूप से शांत और संतुलित रहना बहुत जरूरी है। रिलैक्सेशन और माइंडफूलनेस का अभ्यास करके आप अपने तनाव को कम कर सकते हैं। और एक बेहतर निवेश निर्णय ले सकते हैं। जब आप शांत मन से सोचते हैं, तो आप एक अच्छा निर्णय ले सकते हैं, जो कि आपके लिए बहुत अच्छा साबित हो सकता है। इससे आपके निर्णय तर्कसंगत होते हैं। शांत होकर सोचने से आपको अच्छे-अच्छे समाधान मिल सकते हैं, जिससे कि आपका बिगड़ा काम भी बन सकता है। इसलिए आपको मार्केट में हमेशा अपने मन को शांत और संतुलित रखना चाहिए।
- फाइनेंशियल एडवाइजर की मदद ले :— अगर आपको ऐसा लगता है, कि आप अपनी भावनाओं पर पूरी तरह से काबू नहीं पा रहे हैं, तो ऐसे में आपको फाइनेंशियल एडवाइजर की मदद लेनी चाहिए। इसका यह फायदा होगा, कि वह आपको सही निवेश करने की योजना बनाने में मदद कर सकते हैं। और आपको भावनात्मक निवेश करने से बचाने में मदद कर सकते हैं। और साथ ही आप सही निर्णय और सही निवेश कर सकते हैं। इसलिए आपको जब कभी भी ऐसा लगे की आप अपनी भावनाओं पर कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं, तो आपको जल्द ही फाइनेंशियल एडवाइजर की मदद ले लेनी चाहिए। ताकि आपको भविष्य में सही निर्णय लेने की आदत हो सके।
निष्कर्ष
जैसा कि आपको पता है, स्टॉक मार्केट में सफल होने के लिए आपको अपनी भावनाओं पर नियंत्रण पाना बहुत ही जरूरी है। इमोशनल इन्वेस्टिंग (Emotional Investing) से बचने के लिए आपको धैर्य, अनुशासन और सही जानकारी की जरूरत होती है। जब आप अपनी समझदारी से और सही निर्णय के साथ निवेश करते हैं। और अपने लॉन्ग टर्म पर ही अपना ध्यान केंद्रित करते हैं, तो आप एक बेहतर रिटर्न हासिल कर सकते हैं। और जोखिम से भी बच सकते हैं। जिस दिन आपने अपनी भावनाओं पर काबू पा लिया उस दिन आप मार्केट में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। मार्केट में इमोशनल इन्वेस्टिंग (Emotional Investing) से बचना ही सबसे ज्यादा जरूरी होता है।
आपको यह बात ध्यान रखनी चाहिए, कि स्टॉक मार्केट में जीतने के लिए आपको अपनी भावनाओं पर काबू पाना और अपनी समझदारी से निवेश करना होता है। आपको इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि अपनी भावनाओं में काबू पाने के लिए आपको नियमित रूप से मार्केट पर रिसर्च करते रहना चाहिए, और अपने मन को शांत रखना चाहिए ।
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