Stock Market Me Risk Management Kaise Kare ?

Stock Market Me Risk Management Kaise Kare

स्टॉक मार्केट में रिस्क मैनेजमेंट (Risk Management) कैसे करें?

स्टॉक मार्केट में निवेश करना आपके लिए बहुत ही रोमांचक हो सकता है, लेकिन इसके लिए आपको जोखिम भी उठना होता है। अगर आपने सही तरीके से जोखिम को प्रबंधित नहीं किया, तो इससे आपको भारी नुकसान हो सकता है। इसलिए स्टॉक मार्केट में रिस्क मैनेजमेंट (Risk Management) बहुत ही जरूरी होता है। रिस्क मैनेजमेंट (Risk Management) का मतलब यह होता है, कि हम अपने निवेश को सुरक्षित बनाए रखने के लिए कुछ नियम और योजनाएं अपनाते हैं, जिससे कि बड़ा नुकसान होने से बचा जा सके।

अगर आपने रिस्क मैनेजमेंट (Risk Management) नहीं सीखा है, तो इससे आपको भविष्य में भारी नुकसान हो सकता है, क्योंकि रिस्क मैनेजमेंट (Risk Management) आपके नुकसान को कम करने में आपकी मदद करता है।

1. विविधीकरण (Diversification) करें :— रिस्क मैनेजमेंट (Risk Management) में विविधीकरण का मतलब यह होता है, कि आपको अपने पैसे केवल एक ही शेयर या सेक्टर में नहीं लगना चाहिए, बल्कि अपने पैसे को अलग-अलग कंपनियों और सेक्टर में निवेश करना चाहिए। इसका यह फायदा होता है, कि अगर आपको एक सेक्टर में नुकसान हो रहा हो, तो दूसरे सेक्टर में मुनाफा हो सकता है। जिससे कि आप भारी नुकसान से बच सकते हैं।

उदाहरण के लिए, अगर आपने अपने पैसे फार्मा, टेक्नोलॉजी और ऑटो सेक्टर में लगाया है। और यदि आपको ऑटो सेक्टर में नुकसान हो रहा है, तो टेक्नोलॉजी और फार्मा सेंटर में मुनाफा हो सकता है। इससे कुल मिलाकर आपका नुकसान कम होगा। इस प्रकार से निवेश करने पर आपको बहुत ही कम नुकसान होगा, इससे आपको मानसिक तनाव भी नहीं होगा। और आप धैर्य पूर्वक निवेश कर पाएंगे।

2. स्टॉप लॉस सेट करें :— रिस्क मैनेजमेंट (Risk Management) में स्टॉप लॉस एक बहुत ही महत्वपूर्ण उपकरण होता है, जो आपको अपने नुकसान को सीमित रखने में मदद करता है। जब आप किसी स्टॉक में निवेश करते हैं, तो पहले से ही यह तय कर ले, की यदि स्टॉक का मूल्य एक निश्चित स्तर से नीचे की ओर जाती है। तो आपको उस शेयर को बेच देना है। जिससे कि आपको नुकसान होने की संभावना बहुत ही काम हो जाती है। स्टॉप लॉस लगाने से जब शेयर की कीमत एक निश्चित स्तर से नीचे जाती है, तो उसे हमें बेचना पड़ता है, ताकि हमें भारी नुकसान का सामना न करना पड़े।

माल लेते हैं आपने किसी स्टॉक को₹100 में खरीदा और आपका स्टॉप लॉस ₹90 का सेट किया। अगर स्टॉक की कीमत ₹90 तक गिरती है, तो आपका स्टॉप लॉस ऑर्डर सक्रिय हो जाएगा। और स्टॉक अपने आप बिक जाएगा। इससे आपका नुकसान सीमित रहेगा और आपको उस शेयर पर ज्यादा नजर रखने की जरूरत भी नहीं होगी।

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3. भावनात्मक निवेश से बचें :— रिस्क मैनेजमेंट (Risk Management) में जब बाजार में अचानक से तेजी आती है, या फिर बाजार अचानक से गिर जाता है, तब निवेशक अपनी भावनाओं में आकर गलत फैसला कर लेते हैं, जिससे कि उन्हें नुकसान होता है। जब कभी बाजार में तेजी आती है, तो निवेशक लालच में आकर ज्यादा पैसा लगाने लगता है। और जब कभी बाजार में गिरावट होती है, तो निवेशक डर के कारण अपने शेयर को बेच देते हैं, जिस कारण निवेशक को जोखिम उठाना पड़ जाता है। इसके लिए जरूरी है कि आपको मार्केट की अच्छी समझ होनी चाहिए। जिससे कि आप अपने भावनाओं पर नियंत्रण पा सके और सही निर्णय ले सके।

भावनात्मक निवेश से बचने के लिए आपको पहले से एक निश्चित रणनीति बनानी चाहिए। और उसी के अनुसार काम करना चाहिए। आपको लॉन्ग टर्म के बारे में सोचना चाहिए। और बाजार में हो रहे उतार-चढ़ाव से घबराना नहीं चाहिए।

4. मार्जिन ट्रेडिंग से सावधान रहें :— रिस्क मैनेजमेंट (Risk Management) में मार्जिन ट्रेडिंग में आप ब्रोकरेज फर्म से उधार लेते हैं, और स्टॉक खरीदते हैं। यह एक रिस्की तरीका होता है क्योंकि अगर स्टॉक की कीमत आपके हिसाब से नहीं बढ़ा तो आपको उधार ली हुई राशि के साथ ब्याज भी चुकाना पड़ता है। इसलिए अगर आप एक नए निवेशक हैं, तो आपके लिए अच्छा है, कि आप मार्जिन ट्रेडिंग से दूर ही रहे। क्योंकि नए निवेशक होने के कारण आपको मार्केट की अच्छी जानकारी शायद नहीं होगी। जिसके कारण आप पैसा तो उधार ले लेंगे।

लेकिन अगर आपको लॉस हुआ तो मूल पैसे के साथ-साथ ब्याज भी चुकाना पड़ता है। इससे आपको ही नुकसान होगा। इसलिए आपके लिए अच्छा है, कि आप मार्जिन ट्रेडिंग से सावधान रहे।

5. अनुसंधान करें और सूचित रहें :— रिस्क मैनेजमेंट (Risk Management) में किसी भी कंपनी में निवेश करने के पहले आपको उस कंपनी के बारे में अच्छे से जानकारी ले लेना चाहिए। आपको उस कंपनी का अच्छे से अध्ययन कर लेना चाहिए। कंपनी का बैलेंस शीट, मुनाफा, लॉस और भविष्य की योजनाओं को अच्छे से समझना चाहिए। इसके अलावा आपको स्टॉक मार्केट से जुड़े समाचार और रिपोर्ट्स को पढ़ते रहना चाहिए, ताकि आपको मार्केट में हो रहे नए ट्रेंड्स और बदलाव की जानकारी मिल सके।

रिस्क मैनेजमेंट (Risk Management) में किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले ही आपको उस कंपनी का भूतकाल कैसा था, यह पता कर लेना चाहिए।और उस कंपनी का भविष्य कैसा हो सकता है, इसका भी अनुमान लगा लेना चाहिए। इन सब की जानकारी होने के बाद ही आपको किसी कंपनी में अपना पैसा निवेश करना चाहिए।

6. छोटी शुरुआत करें :— रिस्क मैनेजमेंट (Risk Management) में अगर आप शेयर बाजार में नए हैं, तो आपको शुरुआत में बड़े निवेश करने से बचना चाहिए। आपको पहले छोटे-छोटे निवेश करना चाहिए। छोटे-छोटे निवेश करके अनुभव प्राप्त करना चाहिए। और अनुभवी होने पर ही बड़े निवेश करना चाहिए। इससे अगर आपको शुरुआत में ही नुकसान हो रहा हो, तो नुकसान बड़ा नहीं होगा। और आप अपने अनुभव से सीख पाएंगे और अच्छे से भविष्य में निवेश कर पाएंगे। शुरुआत में आपको ज्यादा रिस्क नहीं लेना चाहिए, क्योंकि यह आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है। बड़े-बड़े निवेश करने के लिए आपको पहले अच्छे से अभ्यास करना होगा।

7. लॉन्ग टर्म निवेश पर ध्यान दें :— रिस्क मैनेजमेंट (Risk Management) में लॉन्ग टर्म में निवेश करना आपके लिए सुरक्षित और फायदेमंद होता है, क्योंकि समय के साथ-साथ कंपनियों का विकास होता है। और उस कंपनी के स्टॉक की कीमत बढ़ती है, जबकि शॉर्ट टर्म में ज्यादा मुनाफा कमाने के लालच में आप गलत फैसला ले सकते हैं। और आपको नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। लंबे समय के लिए निवेश करना आपके लिए सुरक्षित हो सकता है। इसलिए आपको लंबे समय तक के लिए निवेश करना चाहिए। और धैर्य बनाकर रखना चाहिए। लॉन्ग टर्म में निवेश करने के लिए आपके छोटे-छोटे लॉस पर ध्यान नहीं देना चाहिए।

8. रिस्क-रिवार्ड अनुपात समझें :— रिस्क मैनेजमेंट (Risk Management) में जब भी आप कभी किसी स्टॉक में निवेश करने जा रहे हो, तो आपको पहले यह समझना होगा कि उसमें आपको कितना जोखिम है और बदले में आपको कितना मुनाफा हो सकता है। अगर जोखिम का खतरा बहुत ज्यादा है, और आपको मुनाफा कम हो रहा हो, तो आपको ऐसे निवेश से बचना चाहिए। ऐसे शेयर में निवेश करने से आपको बचना चाहिए, जिसमें जोखिम ज्यादा और मुनाफा कम होता है। क्योंकि ऐसे शेयर ज्यादातर नुकसान ही कर सकते हैं। इसलिए आपके लिए बेहतर है, कि आप रिस्क रिवॉर्ड अनुपात को समझें और इस आधार पर ही निवेश करें ताकि आपको जोखिम का खतरा कम हो।

9. मौजूदा ट्रेंड्स पर नज़र रखें :— रिस्क मैनेजमेंट (Risk Management) में बाजार में हमेशा कुछ न कुछ ट्रेंड्स चलते रहता है, जैसा कि सेक्टर में तेजी आना या मंदी आना। आपको ट्रेंड्स पर नजर रखनी चाहिए और उसी अनुसार अपनी योजना बनानी चाहिए। लेकिन आपको सिर्फ ट्रेंड्स के आधार पर ही निवेश करने से बचना चाहिए। आपको अपने रिसर्च पर भी ध्यान देना चाहिए। जब तक आपको किसी कंपनी के बारे में अच्छी जानकारी नहीं है। तब तक आपको किसी शेयर में निवेश नहीं करना चाहिए। आपको पहले अच्छे से रिसर्च करना चाहिए उसके बाद ही निवेश करना चाहिए।

निष्कर्ष

स्टॉक मार्केट में सफलता पाने की कुंजी रिस्क मैनेजमेंट (Risk Management) है। इससे आपको नुकसान कम होता है और मुनाफा बड़ा होता है। जितने भी टिप्स आपको ऊपर दिए गए हैं, उन सभी टिप्स को आप अपना कर अपने निवेश को सुरक्षित और मजबूत बना सकते हैं ।आपको हमेशा यह याद रखना चाहिए, कि स्टॉक मार्केट में धैर्य और सही योजना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है। शेयर बाजार में काम करने के लिए आपको सही समय पर सही निर्णय लेना होता है। इसके लिए आपको बहुत ही शांत मन से और धैर्य बनाकर रखना होता है। भावनाओं में आकर आप गलत निर्णय ले सकते हैं, इसलिए स्टॉक मार्केट में धैर्य बनाए रखना बहुत ही ज्यादा जरूरी होता है।

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FAQs

रिस्क मैनेजमेंट (Risk Management) क्या होता है?

रिस्क मैनेजमेंट (Risk Management) एक प्रक्रिया है जिसमें निवेशक अपने पैसे को सुरक्षित रखने के लिए कुछ रणनीतियाँ अपनाते हैं ताकि बड़े नुकसान से बचा जा सके और लंबे समय तक मुनाफा बना रहे।

स्टॉप लॉस क्या है और यह कैसे काम करता है?

स्टॉप लॉस एक ऐसा ऑर्डर होता है जो निवेशक पहले से सेट करते हैं ताकि स्टॉक की कीमत एक निश्चित स्तर से नीचे जाने पर वह अपने आप बिक जाए। इससे नुकसान को सीमित करने में मदद मिलती है।

विविधीकरण (Diversification) क्यों जरूरी है?

विविधीकरण का मतलब है कि अपने निवेश को अलग-अलग स्टॉक्स और सेक्टर्स में बाँटना। इससे अगर किसी एक सेक्टर में नुकसान हो, तो दूसरे सेक्टर्स में मुनाफा हो सकता है, जिससे कुल मिलाकर नुकसान कम होता है।

मार्जिन ट्रेडिंग में क्या जोखिम है?

मार्जिन ट्रेडिंग में निवेशक उधार लेकर स्टॉक खरीदते हैं। अगर स्टॉक का भाव घटता है, तो नुकसान ज्यादा हो सकता है क्योंकि उधार के साथ-साथ ब्याज भी चुकाना पड़ता है। नए निवेशकों के लिए यह जोखिम भरा हो सकता है।

क्या सिर्फ ट्रेंड्स के आधार पर निवेश करना सही है?

नहीं, सिर्फ ट्रेंड्स के आधार पर निवेश करना सही नहीं होता। बाजार में ट्रेंड्स बदलते रहते हैं, इसलिए निवेश से पहले अपनी रिसर्च करना और कंपनियों का अध्ययन करना जरूरी होता है।

लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म निवेश में क्या फर्क है?

लॉन्ग टर्म निवेश का मतलब है कि आप कई सालों के लिए निवेश करते हैं, जिससे आपको कंपनियों के विकास और बढ़ते मुनाफे का फायदा मिलता है। शॉर्ट टर्म निवेश में आप जल्दी मुनाफा कमाने की कोशिश करते हैं, लेकिन इसमें जोखिम ज्यादा होता है।

नए निवेशकों को किस तरह की गलतियों से बचना चाहिए?

नए निवेशकों को भावनात्मक फैसले लेने से बचना चाहिए, ज्यादा रिस्क वाले निवेश करने से बचना चाहिए और अपनी रिसर्च के बिना सिर्फ सलाह या ट्रेंड्स के आधार पर पैसा नहीं लगाना चाहिए।

रिस्क-रिवार्ड अनुपात क्या है?

रिस्क-रिवार्ड अनुपात से मतलब है कि किसी स्टॉक में कितना जोखिम है और उस जोखिम के बदले में कितना मुनाफा होने की संभावना है। इसे समझकर ही निवेश करना चाहिए, ताकि आपको उचित मुनाफा मिले।

क्या छोटी रकम से निवेश शुरू करना सही है?

हाँ, नए निवेशकों को छोटी रकम से शुरुआत करनी चाहिए ताकि अगर कोई नुकसान हो, तो वह बहुत बड़ा न हो। इससे आप धीरे-धीरे अनुभव प्राप्त कर सकते हैं।

रिस्क मैनेजमेंट (Risk Management) के लिए सबसे जरूरी बात क्या है?

सबसे जरूरी बात है अनुशासन और धैर्य। अपनी निवेश योजना पर डटे रहें, भावनाओं में बहकर निर्णय न लें, और मार्केट के उतार-चढ़ाव से घबराएं नहीं।

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