पोजीशनल ट्रेडिंग का परिचय – Introduction of Positional Trading
स्टॉक मार्केट में कई प्रकार की ट्रेडिंग होती है जैसे की पोजीशनल ट्रेडिंग (Positional Trading) इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है?, स्विंग ट्रेडिंग क्या है?, फ्यूचर ट्रेडिंग, ऑप्शन ट्रेडिंग डिलीवरी ट्रेडिंग । आज इस ब्लॉग में हम पोजीशनल ट्रेड के बारे में जानेंगे।
पोजीशनल ट्रेडिंग क्या है ? – What is positional trading?
पोजीशनल ट्रेडिंग एक ऐसी रणनीति है जिसमें हम किसी स्टॉक को मध्यकाल के लिए अर्थात ना ही बहुत अल्प समय के लिए ना ही बहुत दीर्घ समय के लिए उन दोनों के बीच अर्थात 4 माह 6 माह या 1 साल के अंदर हम उसे बेच देते हैं और इस बीच उस शेयर में जितना मूल्य में वृद्धि होती है वह हमारा लाभ होता है।
पोजीशनल ट्रेडिंग का इतिहास – History of Positional Trading
पोजीशनल ट्रेडिंग (Positional Trading) का इतिहास अत्यंत पुराना है आज के इस आधुनिक युग में इसकी लोकप्रियता बढ़ गई है इसकी शुरुआत 19वीं सदी में देखा गया था । लोग इसमें मध्यकालीन समय के लिए स्टॉक को खरीदते हैं और उसे अपने पास होल्ड करके रखते हैं इस बीच लाभ प्राप्ति होने पर उसे बेच देते हैं।
पोजीशनल ट्रेडिंग की महत्व – Importance of positional trading
पोजीशनल ट्रेडिंग (Positional Trading) की अपनी एक अलग महत्व होती है यह निवेशकों को मध्यकालीन अवधि में लाभ प्राप्त करने में मदद करती है इस बीच बाजार के उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखते हुए यह कार्य करता है अर्थात अल्पकालिक बाजार की अस्थिरता से हमें बचाता है ।
पोजीशनल ट्रेडिंग के प्रकार – Types of positional trading
पोजीशनल ट्रेडिंग (Positional Trading) के दो प्रकार होते हैं अल्पकालिक पोजीशनल ट्रेडिंग और दीर्घकालिक पोजीशनल ट्रेडिंग इसके बारे में हम विस्तार से नीचे जानेंगे।
अल्पकालीन पोजीशनल ट्रेडिंग – short term positional trading
पोजीशनल ट्रेडिंग में अल्पकालिक पोजीशनल ट्रेडिंग (Positional Trading) का अर्थ होता है ऐसा निवेश जो कुछ हफ्तों से लेकर कुछ माह के लिए होता है इसका उद्देश्य होता है कि अल्पकाल में हम उस स्टॉक से लाभ प्राप्त कर सकें।
दीर्घकालीन पोजीशनल ट्रेडिंग – long term positional trading
पोजीशनल ट्रेडिंग में दीर्घकालिक पोजीशनल ट्रेडिंग का अर्थ होता है ऐसा निवेश जो कुछ माह से लेकर कुछ साल तक हम किसी स्टॉक को होल्ड करते हैं वह दीर्घकालीन पोजीशनल ट्रेडिंग (Positional Trading) कहलाता है । इसका मुख्य उद्देश्य होता है मध्यकाल में बाजार से मूल्य वृद्धि का लाभ उठाना यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें आप निरंतर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
पोजीशनल ट्रेडिंग कैसे करे – how to do positional trading
पोजीशनल ट्रेडिंग क्या है इसके बारे में जानने के पश्चात हमें यह जानना अत्यंत आवश्यक है कि पोजीशनल ट्रेडिंग (Positional Trading) कैसे किया जाता है इसके बारे में मैं नीचे विस्तार से जानकारी दिया हुआ है।
बाजार की स्थिति का आकलन करके – By assessing the market situation
पोजीशनल ट्रेडिंग करने के लिए हमें सर्वप्रथम बाजार की स्थिति के बारे में ज्ञान होना चाहिए अर्थात बाजार का ट्रेंड किस प्रकार है बुलिश है, बेयरिश है या साइडवेस है । इसके हिसाब से ही हमें पोजीशनल ट्रेडिंग (Positional Trading) करना चाहिए अगर बाजार बुलिश है तो हमें नए शेयर बाय करके उससे लाभ कमाना चाहिए । अगर बाजार बेयरिश है तो हमें सारे शेयर बेच देना चाहिए और बाजार से हमें मुनाफा कमाना चाहिए और अगर बाजार साइड वायस है तो हमें कम दाम पर उसे शेयर को खरीद कर ऊंचे दाम पर शेयर को बेचकर मुनाफा प्राप्त करना चाहिए।
तकनीकी संकेतकों का उपयोग करके – By using technical indicators
पोजीशनल ट्रेडिंग करने के लिए हमें तकनीकी संकेत का भी प्रयोग करना चाहिए और टेक्निकल एनालिसिस का भी प्रयोग करना चाहिए यह संकेत हमें बताता है कि बाजार किस ओर जा सकती है इसके हिसाब से हमें निर्णय लेकर बाजार में पैसा लगाना चाहिए और सही निर्णय से आप पोजीशनल ट्रेडिंग करके एक अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं।
मौलिक विश्लेषण करके – by doing fundamental analysis
पोजीशनल ट्रेडिंग (Positional Trading) में हम मौलिक विश्लेषण अर्थात फंडामेंटल एनालिसिस करके किसी शेयर पर निवेश कर सकते हैं । फंडामेंटल एनालिसिस करने पर उस शेयर का भविष्य हमें नजर आने लगता है और अगर आपका निर्णय सही हुआ तो आप पोजीशनल ट्रेडिंग में बहुत ही अच्छा खासा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं।
पोजीशनल ट्रेडिंग की प्रक्रिया – positional trading process
पोजीशनल ट्रेडिंग (Positional Trading) करने की कुछ प्रक्रिया होती है अर्थात सर्वप्रथम आपको ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का चयन करना होता है उसके बाद आपको तकनीकी और मौलिक विश्लेषण करना होता है उसके बाद आपको शेयर का चयन करना होता है शेयर का चयन कर लेने के बाद उसे खरीदना होता है शेयर खरीद लेने के बाद आपको आपकी पोर्टफोलियो का प्रबंध करना होता है इन सभी के बारे में हम विस्तार से नीचे जानेंगे।
ट्रेडिंग प्लेटफार्म का चयन – Choosing a Trading Platform
पोजीशनल ट्रेडिंग (Positional Trading) करने की प्रक्रिया में प्रथम कार्य होता है ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का चयन आपको एक ऐसे ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का चयन करना होता है जो अधिक विश्वसनीय हो और उसे प्रयोग करने में आसान हो | ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का फीस अत्यंत कम हो ऐसे ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के बारे में मैंने बताया हुआ है उनका लिंक मैंने नीचे दिया हुआ है वहां से जाकर आप अपने लिए ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का अकाउंट ओपन कर सकते हैं |
तकनीकी और मौलिक विश्लेषण – Technical and Fundamental Analysis
पोजीशनल ट्रेडिंग (Positional Trading) की प्रथम प्रक्रिया पूर्ण कर लेने के बाद आपको शेयर का चयन करना होगा, शेयर्स का चयन करने के लिए आपको उसका तकनीकी और मौलिक विश्लेषण अर्थात टेक्निकल एनालिसिस और फंडामेंटल एनालिसिस करना होगा । टेक्निकल एनालिसिस और फंडामेंटल एनालिसिस करने के बाद आपको यह ज्ञात हो जाएगा कि कौन सा शेयर्स का मूल्य बढ़ाने वाला है। उस स्टॉक को आप खरीद कर रख ले उसके बाद आपका द्वितीय प्रक्रिया पूर्ण होता है।
पोर्टफोलियो प्रबंधन – Portfolio Management
पोजीशनल ट्रेडिंग (Positional Trading) की प्रक्रिया में अंतिम प्रक्रिया पोर्टफोलियो प्रबंधन होता है अर्थात अपने जो स्टॉक बाय किया है उसका निरंतर निरीक्षण करना आवश्यक है। पोर्टफोलियो प्रबंधन का मुख्य लक्ष्य होता है अगर किसी कारण से आप गलत स्टॉक का चयन कर लेते हैं तो पोर्टफोलियो प्रबंधन से उसे स्टॉक का चयन कर उसे अपने पोर्टफोलियो से बाहर कर देते हैं।
पोजीशनल ट्रेडिंग के मुख्य जोखिम कारक – Main risk factors of positional trading
पोजीशनल ट्रेडिंग करके हम अत्यंत लाभ तो कमा सकते हैं पर यह जोखिम भरा भी होता है पोजीशनल ट्रेडिंग (Positional Trading) के मुख्य जोखिम कारक हम नीचे विस्तार से जानेंगे।
आर्थिक कारक – Economic factors
पोजीशनल ट्रेडिंग (Positional Trading) के मुख्य जोखिम कारक में आर्थिक कारक एक महत्वपूर्ण होता है हमारे देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति जीडीपी ब्याज की दरें मुद्रास्फीति यह सभी चीज हमारी पोजीशनल ट्रेड को प्रभावित करता है । इसके कारण हमें हानी होने की संभावना होती है इसलिए निवेश करने से पहले इन सभी कारकों को ध्यान से समझना एवं इसके बारे में ज्ञान होना आवश्यक है अन्यथा आपको एक बड़ी क्षति हो सकती है।
राजनीतिक कारक – Political factors
राजनीतिक कारक भी हमारी पोजीशनल ट्रेडिंग (Positional Trading) के लिए एक जोखिम कारक है । राजनीति की स्थिति के कारण हमें पोजीशनल ट्रेडिंग में प्रभाव देखने को मिलता है अगर कहीं किसी कारण से राजनीतिक स्थिति बदलती है तो हमारे पोजीशनल ट्रेडिंग में प्रभाव दिखने प्रारंभ हो जाता है । इसी कारण आपको आपके चयन किए हुए स्टॉक पर किसी राजनीतिक दल का प्रभाव तो नहीं है इसके बारे में आपको ज्ञात होना आवश्यक है।
बाजार की स्थिति – Market conditions
बाजार की स्थिति भी पोजीशनल ट्रेडिंग का एक मुख्य कारक होता है बाजार की स्थिति कैसी है अर्थात बुलिश है या बेयरिश है यह आपको ज्ञात होना आवश्यक है । इसके कारण भी आपको आपके पोजीशनल ट्रेडिंग (Positional Trading) में प्रभाव दिखता है अगर आप पोजीशनल ट्रेडिंग लेते हैं और बाजार बेयरिश हो जाता है तो आपको आपके पोर्टफोलियो में नुकसान दिखाना प्रारंभ हो जाएगा । इस कारण आपको बाजार की स्थिति का ज्ञान होना आवश्यक है उसी के हिसाब से ही आप अपना निवेश का निर्णय करें।
पोजीशनल ट्रेडिंग में सफलता के टिप्स – Tips for success in positional trading
पोजीशनल ट्रेडिंग (Positional Trading) में सफल होने के लिए कुछ नियम होते हैं जिनको जानना आपको आवश्यक है इन सभी टिप्स को फॉलो करके आप एक सफल पोजीशनल ट्रेंडर बन सकते हैं इसके बारे में मैं नीचे विस्तार से बताने जा रहा हूं।
बाजार अनुसंधान – Market research
पोजीशनल ट्रेडिंग (Positional Trading) में सफलता प्राप्त करने के लिए आपको निरंतर बाजार अनुसंधान अर्थात मार्केट रिसर्च करना होता है । बाजार में कब क्या चल रहा है, बाजार में कब कैसे न्यूज़ आई है, इसके बारे में आपको निरंतर जानकारी होना आवश्यक है । इसके अभाव में आपको नुकसान हो सकता है इस कारण आपको बाजार अनुसंधान करना आवश्यक है।
नियमित समीक्षा – Regular reviews
पोजीशनल ट्रेडिंग (Positional Trading) में सफल होने के लिए आपको नियमित समीक्षा करना आवश्यक है नियमित समीक्षा अर्थात रेगुलर रिव्यू । आप अपने पोर्टफोलियो और शेयर्स के बारे में नियमित रूप से समीक्षा करते रहें इससे आपको यह ज्ञात होगा अगर आप किसी गलत शेयर का चयन किए हैं तो नियमित समीक्षा के द्वारा आप उसे अलग कर सकते हैं यह आपको अधिक लाभ प्राप्त करने में सहायता प्रदान करती है।
दीर्घकालिक दृष्टिकोण – Long-term View
पोजीशनल ट्रेडिंग (Positional Trading) में सफलता प्राप्त करने के लिए आपको अपना व्यू दीर्घकालीन रखना होगा अर्थात दीर्घकालीन दृष्टिकोण से आप अपने पोजीशन को लंबे समय के लिए होल्ड कर सकते हैं इससे आपको अत्यधिक लाभ कमाने में सहायता प्राप्त होगा।
निष्कर्ष – conclusion
पोजीशनल ट्रेडिंग (Positional Trading) एक आकर्षक एवं अत्यंत लोकप्रिय ट्रेडिंग स्ट्रेटजी है इसके द्वारा लोग अत्यंत मुनाफा प्राप्त कर रहे हैं लेकिन आप हमेशा याद रखें कि आपकी एक छोटी सी गलती आपको नुकसान दे सकता है इस कारण आप सभी नियमों का पालन करें जिससे आपको मुनाफा प्राप्त हो।
FAQs
पोजीशनल ट्रेडिंग क्या है?
पोजीशनल ट्रेडिंग एक निवेश रणनीति है जिसमें निवेशक एक स्टॉक या अन्य निवेश को मध्यकालीन अवधि के लिए होल्ड करते हैं, ताकि बाजार के दीर्घकालिक रुझानों का लाभ उठाया जा सके और अल्पकालिक अस्थिरता से बचा जा सके।
पोजीशनल ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग में क्या अंतर है?
पोजीशनल ट्रेडिंग में निवेशक मध्यकालीन अवधि के लिए स्टॉक्स को होल्ड करते हैं, जबकि डे ट्रेडिंग में निवेशक उसी दिन में स्टॉक्स खरीदते और बेचते हैं। पोजीशनल ट्रेडिंग का उद्देश्य दीर्घकालिक लाभ प्राप्त करना होता है, जबकि डे ट्रेडिंग का उद्देश्य अल्पकालिक उतार-चढ़ाव का लाभ उठाना होता है।
पोजीशनल ट्रेडिंग के लिए कौन से संकेतक महत्वपूर्ण हैं?
पोजीशनल ट्रेडिंग के लिए महत्वपूर्ण संकेतकों में मूविंग एवरेज, आरएसआई (Relative Strength Index), और मैकडी (MACD) शामिल हैं। ये संकेतक बाजार के रुझानों और संभावित बिंदुओं का पता लगाने में मदद करते हैं।
क्या पोजीशनल ट्रेडिंग जोखिमभरा है?
हां, पोजीशनल ट्रेडिंग में जोखिम होते हैं, जैसे बाजार की अस्थिरता, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन। हालांकि, उचित जोखिम प्रबंधन और विविधीकरण के माध्यम से इन जोखिमों को कम किया जा सकता है।
पोजीशनल ट्रेडिंग के लिए सबसे अच्छा समय क्या है?
पोजीशनल ट्रेडिंग के लिए सबसे अच्छा समय वह है जब बाजार में दीर्घकालिक रुझान स्पष्ट हों और निवेशक के पास पर्याप्त अनुसंधान और जानकारी हो। बाजार के स्थिरता और संभावित वृद्धि के संकेतकों पर ध्यान देना चाहिए।
क्या पोजीशनल ट्रेडिंग केवल स्टॉक्स तक सीमित है?
नहीं, पोजीशनल ट्रेडिंग केवल स्टॉक्स तक सीमित नहीं है। इसे विभिन्न वित्तीय साधनों पर लागू किया जा सकता है, जैसे म्यूचुअल फंड, बॉन्ड्स, कमोडिटी, और क्रिप्टोकरेंसी।
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